लखनऊ। विधान परिषद चुनाव में आशु मलिक की जीत सबसे दिलचस्प रही। सपा के बाकी उम्मीदवार तो आसानी से जीत गए लेकिन आशु मलिक की भाजपा के दया शंकर से अंत तक लड़ाई चली।
सपा के पाले में खड़े दलों, खास तौर से
कांग्रेस व अन्य छोटे दलों तथा निर्दलीय विधायकों ने भी क्रॉस वोटिंग की
है। आंकड़ों के लिहाज से बसपा को प्रथम वरीयता के अपने कोटे से ज्यादा वोट
मिले हैं। चुनाव के पहले हुए दावों व समीकरणों को आधार बनाएं तो सपा के
230 विधायकों में अस्वस्थ चल रहे वकार अहमद शाह, प्रेमप्रकाश सिंह और
सदस्यता गंवाने वाले कप्तान सिंह राजपूत के बाद उसके 227 विधायक बचते हैं।
कांग्रेस ने अपने 22 विधायकों का वोट सपा को देने का फैसला किया था। इसके
अलावा निर्दलीय व अन्य छोटे दलों को मिलाकर सपा अपने पास लगभग 260 विधायकों
के वोट होने का दावा कर रही थी। इनमें रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया,
विनोद सरोज, विजय सिंह पुत्र प्रेम सिंह, रूबी प्रसाद, शहजिल इस्लाम, मनोज
कुमार, पीस पार्टी के दो, कौमी एकता दल के दो सदस्यों सहित एक अन्य विधायक
के वोट बताए जा रहे थे। सपा विधायक दल के मुख्य सचेतक अंबिका चौधरी यह
दावा भी कर रहे थे कि उनके सभी प्रत्याशी पहली वरीयता के मतों से ही जीत
जाएंगे। सपा को प्राप्त दूसरे विधायकों व छोटे दलों के समर्थन को छोड़ भी
दें तो सिर्फ कांग्रेस के 22 विधायकों को ही जोड़कर सपा के साथ खड़े
विधायकों का आंकड़ा 249 पहुंच जाता है, पर सपा के खाते में प्रथम वरीयता के
245 मत ही आए। साफ है कहीं न कहीं इन वोटों में भाजपा व बसपा की तरफ से
सेंध लगी है। जिन पर सेंध लगी है वे सपा के हैं या कांग्रेस के हैं, यह
खोजबीन का विषय है। इसके अलावा कुछ अन्य लोगों ने भी सपा से किया गया वादा
तोड़ा है। बसपा को अपने निर्धारित कोटे से ज्यादा वोट मिलना उसके नेताओं
को स्वीकार्यता बढऩे का दावा करने का मौका देता है, पर झटका उसे भी लगा
है। उसके दो विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने का अंदेशा जताया जा रहा है। बसपा
के दावों तथा कांग्रेस व रालोद के समर्थन को आधार बनाएं तो बसपा को अपने
80 विधायकों के अलावा कांग्रेस के 6 और रालोद के 8 विधायकों के वोट मिलाकर
कुल 94 वोट मिलने चाहिए थे, पर उसे प्रथम वरीयता के 101 वोट मिले। इनमें
नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 35, धर्मवीर अशोक को 36 और प्रदीप जाटव को 30 वोट
मिले। पीस पार्टी के मो. अय्यूब का वोट भी बसपा के खाते में जाने की बात
सही मान लें तो भी 95 वोट ही बसपा को मिलने चाहिए थे, पर बताया जाता है कि
बसपा की बैठक से गायब रहने वाले दो विधायकों बाला प्रसाद अवस्थी और छोटेलाल
वर्मा के वोट बसपा के खाते में नहीं गए हैं। बसपा उम्मीदवारों को मिले वोटों से इन दोनों के वोटों को निकाल दें तो आठ विधायकों ने बसपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है।
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