वकीलों की कमी के कारण देशभर की जिला अदालतों में करीब 66 लाख मामले लंबित हैं। इनमें 5.1 लाख से अधिक आपराधिक मामले हैं।
प्रदीप महाजन (क़ानूनी सलाहकार) राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) ने 14 सितंबर, 2024 तक जानकारी दी कि देश की निचली अदालतों में इस समय 4 करोड़ से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं. इसमें 63 लाख मामले इसलिए लंबित हैं क्योंकि वकील ही उपलब्ध नहीं है. इनमें कम से कम 78% मामले आपराधिक (क्रिमिनल) हैं और बाकी दीवानी (सिविल) हैं। वकील के न होने के चलते सबसे ज्यादा लंबित मामलों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश इसमें पहले नंबर पर है, साथ ही दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, यूपी और बिहार में भी वकील ना उपलब्ध होने से अदालतों में लंबित है। मशहूर अधिवक्ता वेद प्रकाश मैसीह ने बताया कि कई बार केस के दौरान वकीलों की मौत हो जाती है अभियोजन पक्ष की कमी के कारण मामले खिंचते रहते हैं, तो वकीलों की अक्षमता भी इसके लिए जिम्मेदार है तो वही अदालतों में रजिस्ट्री का सिस्टम ही ठीक नहीं है,मुकदमों की सूची कई बार अंतिम समय में आती है. ऐसे में वकील मजबूरन सुनवाई में नहीं पहुंच पाते हैं. तो कई बार मुवक्किल के पास फीस देने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। उच्च न्यायालयों में 59,61,088 मामले लंबित हैं, जिनमें से 76,000 से अधिक मामले 30 वर्ष से अधिक पुराने हैं।कुल लंबित मामलों में से 1,07,972 जमानत के मामले हैं। मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में कुल 67,390 मामले लंबित हैं, जिनमें से केवल 21 मामले ही 30 वर्ष से अधिक पुराने हैं। अधिवक्ता एल बी पांडेय व् अधिवक्ता पवन त्यागी ने जानकारी देते हुए कहा कि निम्न कारणों से भी 38,32,419….आरोपी फरार 28,98,539…गवाह के कारण देरी 24,97,401 ….विभिन्न कारणों से देरी 15,74,807…दस्तावेजों का इंतजार 8,65,311…पक्षकारों की रुचि नहीं 4,75,543…लगातार अपील 1,68,160..विधिक उत्तराधिकारी रिकॉर्ड पर नहीं 1,25,267…अन्य कारण 87,679…कई गवाह 74,871…हाईकोर्ट की रोक 63,326…डिक्री का निष्पादन 32,300…दस्तावेज अनुपलब्ध 7,641….जिला अदालत की रोक 1,316…सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण अदालतों में लंबित केस है।
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