नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने बेदी और मोदी को विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने का फैसला किया है। इसके लिए नारा दिया गया है \'जीते तो मोदी-हारे तो बेदी। आज आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत सिंह मान ने इस जुमले को जनता के बीच उछाला।
इसमें कोई दो राय नहीं कि आम आदमी पार्टी
अपने मुद्दों को जनता तक पहुंचाने तक कामयाब रही है। जबकि भाजपा अभी
आरोप-प्रत्यारोपों में ही उलझ रही है। किरण बेदी के आने से अंतरद्वंद भी
उसका कम नहीं हुआ है। जाहिर है इसको समाप्त करने के लिए पार्टी अध्यक्ष
अमित शाह के साथ-साथ पीएम मोदी को भी मैदान में कूदना पड़ेगा। गणतंत्र
दिवस तक भाजपा खामोशी से प्रचार कर रही है। सारा जिम्मा दिल्ली के प्रदेश
अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और हाल ही में घोषित मुख्यमंत्री की उम्मीदवार किरण
बेदी पर डाल दिया है। माना जा रहा है कि गणतंत्र दिवस के बाद
राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह-मोदी आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो जाएंगे। इन दोनों
की चार सभाएं 29 जनवरी से 4 फरवरी के बीच रखी गई हैं। खबर है कि आप के
नेता भी इससे भली-भांति परिचित हैं। इसलिए वे भी इन हमलों से बचाव पलटवार
की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इनमें केजरीवाल के अलावा डॉ. कुमार विश्वास
अग्रणी भूमिका में नजर आएंगे।
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