सितम्बर 13, 2013 को आखिरकार दिल्ली की एक एन. जी. ओ. को वसंत कुंज स्थित वो ज़मीन उसके मालिकों को वापस करनी पड़ी जहाँ यह एन. जी. ओ. समाज द्वारा उपेक्षित बुजुर्गों, मानसिक रोगियों, एच. आई. वी. संक्रमित मरीजों के लिए वृद्धाश्रम और एक अस्पताल के साथ ही बेसहारा बच्चों के लिए एक स्कूल भी चला रही थी।
ये बड़े दुःख की बात
है की सरकार और समाज के बहुत से जाने-माने लोगों द्वारा स्वीकृति प्राप्त करने के
बाद और इन लोगों की प्रशंसा के बावजूद भी यह एन. जी. ओ. अपनी वो ज़मीन नहीं बचा पायी
जहाँ ये समाज द्वारा ठुकराए गए बेसहारा और अपाहिज बुजुर्गों की सेवा करते थे।
अब इन बुजुर्गों के
पास 1 अक्टूबर 2013 से फुटपाथ पर रहने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है और इत्तेफाक
से यह दिन सम्पूर्ण विश्व में वर्ल्ड सीनियर सिटीजन्स डे के रूप में मनाया
जाता है और इसी दिन ये 200 से ज्यादा वृद्ध लोग और बेसहारा बच्चे हमेशा के लिए
बेघर हो जायेंगे।
पिछले पांच वर्षों
से गुरुकुल चला रही इस एन. जी. ओ. ने निःस्वार्थ भाव से जरूरतमंद लोगों की सेवा की
है और सरकार द्वारा कोई भी आर्थिक मदद लिए बिना ही अपना काम किया है ऐसे में ये
बहुत दुःख की बात है की राज्य के बनाये गए कुछ नियमों की वजह से अब ये लोग खुद को
बहुत लाचार महसूस कर रहे हैं।
अब इन लोगों को किसी
फ़रिश्ते का इंतज़ार है जो आकर इनकी मदद करे लेकिन तब तक द अर्थ सेविअर फाउंडेशन
के संस्थापक और प्रेसिडेंट रवि कालरा को इन 200 बुजुर्ग और बीमार लोगों को लेकर
सड़क पर ही रहना होगा जहाँ इनके सर पर छत नहीं होगी और ये खुद को प्राकृतिक मुश्किलों
जैसे ठण्ड, बारिश और धूप से भी नहीं बचा पायेंगे, किन्तु ऐसे में भी रवि कालरा जी
24 घंटे इन लोगो की सेवा में लगे रहेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे की इन बुजुर्गों को
सभी संभव सुविधाएँ दी जा सकें।