एन. आर. नारायणमूर्ति के फिर से इन्फोसिस की कमान संभालने से कुछ दिनों पहले कंपनी के अंदर एक और अहम बदलाव हुआ था। इसके तहत बोर्ड मेंबर और सीईओ पद के दावेदार वी बालाकृष्णन को लोडस्टोन कंसल्टिंग का चेयरमैन बनाया गया। लोडस्टोन इन्फोसिस का अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है। जाहिर तौर पर इस फेरबदल का मकसद बालाकृष्णन को ज्यादा अधिकार देना है।
मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि यह बदलाव इंटीग्रेशन मसलों के कारण हुआ। घटनाक्रम से जुड़े एक शख्स ने बताया, 'इन्फोसिस को लोडस्टोन के मामले में जबरदस्त चुनौती मिल रही है। खासतौर पर डाउनस्ट्रीम रेवेन्यू के मामले में। बाला ने इस मसले को कंपनी के अंदर उठाया है। इसके बाद उन्हें इसका चेयरमैन बनाया गया।'
इन्फोसिस ने ईमेल से भेजे गए जवाब में बी जी श्रीनिवास के बदले वी बालाकृष्णन की नियुक्ति की पुष्टि की है। जवाब में कहा गया है, 'यह कंपनी के स्ट्रैटिजिक मकसदों को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में फेरबदल का हिस्सा है। यह बदलाव हाल में हुआ है। बी जी श्रीनिवास लोडस्टोन के बोर्ड में अहम सदस्य के तौर पर बने रहेंगे। लोडस्टोन के इंटीग्रेशन में कोई समस्या नहीं है। इंटीग्रेशन हमारे ओरिजिनल प्लान के मुताबिक हो रहा है।
इन्फोसिस ने पिछले साल सितंबर में स्विस कंसल्टिंग फर्म लोडस्टोन का अधिग्रहण किया था। यह सौदा 35 करोड़ डॉलर में हुआ था। इस अधिग्रहण का मकसद यूरोप में कंसल्टिंग में इन्फोसिस की मौजूदगी बढ़ाना और लोडस्टोन के क्लाइंट्स के जरिए बाकी बिजनस में रेवेन्यू में बढ़ाना था। साथ ही, इन्फोसिस को भी इस बात पर आलोचना झेलनी पड़ रही थी कि कंपनी 4 अरब डॉलर कैश का इस्तेमाल नहीं कर रही है।
लोडस्टोन में बालाकृष्णन को नई जिम्मेदारी ऐसे वक्त में मिली है, जब नारायणमूर्ति ने फिर से कंपनी के एग्जेक्युटिव चेयरमैन की संभाली है। बाला को मूर्ति के भरोसेमंद के तौर पर जाना जाता है। अतिरिक्त रोल में बाला की सफलता कंपनी के टॉप जॉब के लिए उनकी संभावनाएं बढ़ा सकता है। इन्फोसिस के सीईओ शिबुलाल का टर्म मार्च 2015 में खत्म हो रहा है। इस पद के बाकी दावेदारों में अशोक वेमुरी और बी जी श्रीनिवास हैं। बालाकृष्णन फिलहाल फिनेकल और बीपीओ के भारतीय बिजनस के प्रमुख हैं। बीते साल अक्टूबर में सीएफओ पद से हटने के बाद उन्होंने यह नई जिम्मेदारी मिली थी।