(Parveen Arora)कैट ने आनंद शर्मा से वास्तविकता के आधार पर समझौते पर पुन: विचार की मांग की भारत और युरोपियन यूनियन के बीच इस महीने में संपन्न होने वाले विदेश व्यापार समझौते से देश का डेरी उद्योग, कृषि, लघु उद्योग एवं मजदूर वर्ग को बुरी तरह से झटका झेलना पड़ेगा क्योंकि प्रस्तावित समझौते की शर्तों के अनुसार युरोपियन यूनियन को भारत में अपने यहाँ के उत्पाद निर्यात करने की बिना शर्त छूट होगी जिसके चलते युरोपियन यूनियन ख़ास तौर पर अपने यहाँ के विशेष रूप से कृषि एवं दूध से बने उत्पादों, जिन पर सरकार बड़ी मात्रा में सब्सिडी देती है, को भारत के बाजारों में डंप कर सकेगा! मजेदार बात यह है की इस समझौते से जहाँ यूनियन सारे लाभ उठाएगा वहीँ दूसरी ओर उसने भारतीय डेरी उत्पादों ओर आयुर्वेदिक दवाओं को अपने बाजारों में बेचने से इसलिए साफ़ मन कर दिया है की भारत की सेनेटरी व्यवस्था उनके मानकों पर खरी नहीं उतरती है !
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भर्तिया ने आज यह गंभीर मामला उठाते हुए कहा की इस एक तरफ़ा समझौते के द्वारा भारत सरकार देश के बाजारों को युरोपियन यूनियन के आगे समर्पण न करे !इस से भारत के रिटेल व्यापार को बड़ा धक्का पहुंचेगा ! ज्ञातव्य है की देश के सबसे बड़े कोआपरेटिव अमूल ने भी श्री आनंद शर्मा को पत्र भेज कर इस बात के लिए चेताया है !
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की इस समझौते के अंतर्गत कृषि एवं इंडस्ट्रियल सामानों पर लगभग 94 %
प्रतिशत ड्यूटी कम की जायेगी जिसके कारण बड़े स्तर पर यूरोप का माल देश के बाजारों में आएगा उधर दूसरी ओर युरोपियन यूनियन में ड्यूटी की दर पहले ही काफी कम है ओर भारतीय उत्पादों के लिए वहां कोई ज्यादा संभावनाएं भी नहीं है ! लिहाजा इस समझौते से भारत को कोई लाभ नहीं होने वाला !
श्री भारतीय एवं श्री खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री आनंद शर्मा से आग्रह किया है की क्योंकि यह समझौता युरोपियन यूनियन के पक्ष में एक तरफ़ा है जिसमे भारत के किसानों, डेरी उद्योग, मजदूरों, लघु एवं माध्यम उद्योग,दवाइयां आदि अनेक क्षेत्रों के हितो की बलि चढाई जा रही है लिहाजा इस पर गंभीरता के साथ सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए !बेहद जल्दबाजी में किया गया यह फैसला देश के हितों के विरुद्ध है !
भारतीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री नरेश सिरोही ने कहा की युरोपियन कमीशन के अपने अनेक अध्ययन के अनुसार इस समझौते के बाद वर्ष 2020
तक युरोपियन यूनियन द्वारा भारत को निर्यात करने का आंकड़ा प्राइमरी प्रोडक्ट्स में 5128
मिलियन यु एस मिलियन डॉलर, अनाज में 133
यु एस मिलियन डॉलर, प्रोसेस्ड फ़ूड में 321
मिलियन डॉलर, पशु धन में 150
मिलियन डॉलर ओर अन्य फसलों में 80 मिलियन डॉलर तक जाएगा ! इस से यह साफ़ है की विशेषकर किसानों ओर फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बड़े खतरे का सामना करना पड़ेगा ! विदेशी फ़ूड पर निर्भरता होने के कारण भारत की खाद्य सुरक्षा एवं खाद्य आत्म निर्भरता को सीधे चुनोती मिलेगी ! इस समझौते के "ट्रिप्स -प्लस" प्रावधान से देश का 67 %
निर्यात होने वाला फार्मास्यूटिकल क्षेत्र को भी बड़ा धक्का पहुंचेगा !
कैट इस मुद्दे की गंभीरता को लेकर भारत सरकार के मंत्रियों Back