रोहतक सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह जिले रोहतक में रोडवेज कर्मचारियों ने डिपो के अधिकारियों और यात्रियों की नाक में दम करके रख दिया है। दोपहर 3 बजे के बाद गुड़गांव जैसे महत्वपूर्ण रूट पर बस ले जाने के लिए हुड्डा के इलाके का कोई भी ड्राइवर तैयार नहीं होता। इसका खमियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। रोडवेज के अधिकारियों की भी इनके आगे एक नहीं चल रही है। दोपहर बाद रोहतक डिपो की 3 बसें शाम साढ़े 4, साढ़े 5 व 6 बजे गुड़गांव जाती हैं। इसी समय यात्रियों की सबसे अधिक भीड़ होती है लेकिन उन्हें बसें उपलब्ध नहीं होती। गुड़गांव बूथ पर खड़े दर्जनों यात्री हर बस पर टकटकी लगाए रहते हैं, लेकिन गुड़गांव के लिए लंबा इंतजार करने को मजबूर हैं। इन तीनों बसों के चालकों व परिचालकों को गुड़गांव में नाइट करनी होती है, लेकिन अधिकतर स्टाफ इससे बचता है।
सूत्रों के अनुसार, चालक व परिचालक आसपास के गांवों से आते हैं और देर से वापस पहुंचने के कारण उन्हें घर लौटने में दिक्कत होती है। कर्मचारियों की इस मनमानी के कारण यात्रियों को बहादुरगढ़ तक भेजने की व्यवस्था कर रोडवेज अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में अन्य डिपो की बसों के सहारे ही यात्री गुड़गांव पहुंच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कर्मचारी ऐसे रूटों पर शाम के समय जाने से साफ मना कर देते हैं। रोडवेज प्रबंधन ने इसके लिए रोटेशन प्रणाली अपनाई है। रोहतक डिपो में 195 बसें हैं, जिनमें से प्रतिदिन करीब 175 बसें रूट पर चलती हैं। इनके लिए 218 चालक व 253 परिचालक हैं। इसके बावजूद यात्रियों को समय पर गंतव्य तक पहुंचाने में सफलता नहीं मिलती। ड्यूटी सेक्शन के एक अधिकारी ने बताया कि विशेष समय पर बस भेजने में अधिक दिक्कत आती है। शाम के समय इन बसों को रूट पर ले जाने के लिए स्टाफ नहीं मिलता। काफी मशक्कत के बाद कुछ स्टाफ को राजी किया जाता है।
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