नई दिल्ली। श्रीलंका में तमिलों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के मुद्दे पर सरकार की कड़ी आलोचना करने वाली डीएमके ने अब इसी मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रिममंडल से हटने धमकी दी है। डीएमके का कहना है कि श्रीलंका सरकार वहां बसे तमिलों के खिलाफ युद्धअपराधों की जांच के नाम पर अत्याचार कर रही है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के सामने इसी महीने की 21 तारीख को लिट्टे के खिलाफ कार्रवाई के दौरान हुए नरसंहार और युद्धपराध को लेकर अमेरिका एक प्रस्ताव पेश करेगा, डीएमके इस प्रस्ताव में संशोधन कर श्रीलंका समर्थित नरसंहार की निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच और युद्ध अपराधियों की पहचान जाहिर करने की मांग कर रही है। लोकसभा में 18 सांसदों डीएमके के फिलहाल 1 कैबिनेट और 4 राज्य मंत्री हैं।
डीएमके चीफ एम. करुणानिधि ने एक लिखित बयान में कहा, कि भारत को यूएन के ह्यूमन राइट कमिशन के जरिए कुछ ऐसी व्यवस्था कराने की दिशा में काम करना चाहिए जिससे श्रीलंका में तमिलों के नरसंहार की भी जांच हो और दोषियों को भी पहचाना जाए। एम करुणानिधि ने बयान में कहा कि अमेरिका के प्रस्ताव को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा, कि भारत सरकार इस मामले में रुचि ले और संशोधन प्रस्ताव लाए। ऐसा इसलिए, ताकि नरसंहार करने वाले लोगों और युद्ध अपराधियों को पहचानकर निष्पक्ष जांच की जा सके।
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