कोरोना यौद्धा: जान जोखिम में डालकर बचाई लोगों की जान
डां सिद्धार्थ रावत ने कोरोना काल में उठाई भारी रिस्क
कई दिनों तक नहीं पहुंचे घर, बच्चों से रहे दूर
(प्रदीप खरे, व्यूरो टीकमगढ़)सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता। यह चरितार्थ किया जिला राजेन्द्र चिकित्साल में पदस्थ डाक्टर सिद्धार्थ रावत ने। जिन्होंने कोरोना काल में लगातार सेवा देकर सैकड़ों लोगों का उपचार किया। इस दौरान उन्होंने खुद की जान भी कई मौकों पर दाव पर लगा दी। रात और दिन एक कर मरीजों की सेवा की। उनके कार्यों की डाक्टरों से लेकर अन्य लोगों ने मुक्त कंठ से सराहना की है। यहां बता दें की अनेक लोगों ने कोरोना काल में छोटे-छोटे कार्यों को बढ़ा बताकर झूठी वाहवाही लूटने का भी काम किया, लेकिन जिला अस्पताल के डां सिद्धार्थ रावत सुर्खियों से पूरी तरह दूर रहकर अपनी सेवाएं देते रहे। यहां बता दें कि उनके छोटे छोटे बच्चे और भरापूरा परिवार है, जिससे वह कई दिनों तक दूर रहे। डां सिद्धार्थ इन दिनों बुजुर्गों की सेवा करने में लगे हैं। यहां अपने स्टाफ के साथ कोरोना से बचाव के लिये चल रहे टीकाकरण में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। मौजूद स्टाफ ने बताया कि उनके द्वारा जिस तरह की सेवा भावना दिखाई गई, उसे देखकर कर्मचारी भी चिंतित रहते थे। भगवान ने उनकी बहुत रक्षा की। अपने जीवन की उन्होंने तनिक भी परवाह नहीं की। कोरोना योद्धा के रूप में वह उन खास डाक्टरों में एक रहे, जिन्होंने खुद को दाव पर लगाकर रोगियों की सेवा की। उनके उपचार और सेवा भावना से मरीज और स्टाफ दोनों की खुश रहे। कहा जाता है कि कई सीनियर डाक्टरों ने भी उन्हें समय-समय पर समझाईश दी। कोरोना से बचाव के उपाये बताकर उन पर अमल करने के लिये कहा। कुछ दिनों तक जब मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, और बीमारी का भय भी अधिक रहा, येसी हालत में अपनी छोटी बच्ची और परिवार की चिंता करते हुये वह घर ही नहीं गये और अस्पताल में रहकर ही रात-दिन लोगों का उपचार किया। डां सिद्धार्थ रावत के कार्यों की यहां मौजूद लोग सराहना करते हुये नहीं थकते। मौजूद लोगों का कहना है कि वैसे तो कोरोना काल में यहां के अनेक डाक्टरों ने अपनी सेवाओं से लोगों का दिल जीता, लेकिन डां रावत ने जिस तरह के जोखिम उठाते हुये भी सेवाएं दी हैं, वह अनुकरणीय है। यहां टीकाकरण कराने आने वाले बुजुर्ग और अन्य कर्मचारी भी उनकी सेवाओं से बेहद प्रसन्न हैं और अपनी दुआएं दे रहे हैं। जिले के अन्य अस्पतालों में पहुंचे डां सिद्धार्थ रावत ने पूंछे जाने पर बताया कि वह जरूरत पडऩे पर कोरोना काल में जिले के अन्य अस्पतालों में भी पहुंचे और रोगियों का उपचार किया। आरआर टीम में रहते हुये उन्होंने आवश्यकता पडऩे पर बड़ागांव, बल्देवगढ़, पलेरा, जतारा आदि अस्पतालों में भी उपचार किया और रोगियों की परवाह की। वह जिला अस्पताल में बिना छुट्टी लिये हमेशा सेवा के लिये तैयार रहे, जो कि उनका कर्तव्य रहा। श्री रावत ने बताया कि वह बीच में करीब एक सप्ताह घर नहीं गये। बच्ची और परिवार की सुरक्षा की जरूर चिंता रहती थी। जब उनसे कहा कि और खुद के लिये इतनी लापरवाही, तो वह केवल मुस्करा गये। राष्ट्र सेवा और कर्तव्य से बढ़कर कुछ नहीं होता, शायद यह विचार उनके मन में भी कूट-कूट कर भरे हैं। अभी टला नहींं है संकट डां सिद्धार्थ रावत कहते हैं कि अभी संकट टला नहीं है। लोगों को चाहिये कि वह पूरी सावधानी रखें। उन्होंने कहा कि मास्क कोरोना के साथ ही अन्य बीमारियों से भी बचाता है। इसे इस्तेमाल हमेशा ही करते रहें। मास्क के बिना घरों से नहीं निकलें। किसी प्रकार का जोखिम जिंदगी के लिये खतरा बन सकता है। उन्होंने आपस में दूरी बनाये रखने की भी सलाह दी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे कुछ हल्के में लेते आ रहे हैं, जो उचित नहीं है। बिना मास्क और सेनेटाइज हुये रहना कोरोना काल में अनहोनी को अंजाम दे सकता है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्रशासन हर चुनौति से निबटने के लिये तैयार है। सारे इंतजाम किये गये है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के साथ ही पुलिस प्रशासन अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है, जिसके परिणाम सभी के सामने है। जिला अन्य स्थानों की अपेक्षा काफी सुरक्षित रहा और आगे भी रहेगा।
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