बुंदेलखंड की मदर टेरेसा शिवकली रूसिया जहा अनाथ बच्चों को मिलती है मां रूसिया की गोद।
(प्रदीप खरे, एमपी व्यूरो/टीकमगढ़) बिना मां के बच्चे की हालत का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है। जिस बच्चे के सिर से मां का आंचल छिन जाता है, मां का प्यार नसीब नहीं होता। ऐसे बच्चों के लिये मां बनकर आती है शिवकली रूसिया। यहां लोग उन्हें बुंदेलखंड की मदर टेरेसा कहा करते हैं। पेशे से अधिवक्ता श्रीमती शिवकली रूसिया अब तक अनेक बच्चों को अपनी गोद दे चुकी हैं। उनके आंचल की छांव में अनाथ बच्चों को मां का प्यार मिला है। महिला दिवस पर बुंदेलखंड की मदर टेरेसा के बारे में बताये बिना यह दिवस सार्थक साबित नहीं होगा। उनके आशियाने ने अब एक अनाथालय या यू कहें कि मातृ छाया का रूप ले लिया है। पिछले कई वर्षां से वह बेसहारा बच्चों का सहारा बनकर सामने आ रही हैं। श्रीमती शिवकली रूसिया पत्नी स्वर्गीय प्रेम नारायण रूसिया, उम्र 90 वर्ष आज भी युवा के लिये प्रेरणा देने का काम कर रही हैं। वह आज भी जहां अपने पेशे में सक्रियता दिखा रही हैं, वहीं समाजसेवा में खुद को समर्पित किये हुये हैं। उनका जन्म तिथि 1 अप्रैल 1931 विवाह हुआ। 1947 में उनका जन्म ग्राम उमरी जिला जालौन में हुआ। इसके बाद मऊरानीपुर के प्रेम नारायण रूसिया से 1947 में विवाह संपन्न हुआ। सन् 1956 में टीकमगढ़ आकर कुंडेश्वर बीटीआई में लेक्चरर के पद पर उनके पति का ट्रांसफर हुआ, जहां उन्होंने बच्चों में शिक्षा को देकर ज्ञान की अलख जगाई। गांधी जी की योजना से जागृत होकर श्रीमती रूसिया ने अपने हाथ से सूत काटकर कपड़े बनाकर पहनती थी। 30 दिसंबर 2014 में पति की मृत्यु हो गई। इसके पहले पति के साथ मिलकर 1997 में रूसिया मातृछाया का निर्माण कर अनाथ बच्चों को सहारा देना प्रारंभ कर दिया था। पहला बच्चा 14 अक्टूबर 1997 को अनाथ आश्रम में आया, आज लगभग वहां 50 बच्चों से ऊपर अनाथ बच्चों को परिवार मैं सौंप दिया गया, वही श्रीमती अमिता खरे एक ऐसी कर्मचारी है, जिन्होंने अनाथ आश्रम की शुरुआत से ही आज दिनांक तक सेवा देकर बच्चों को भरण-पोषण करने में सहयोग दिया। यह आश्रम लगातार अनाथ बच्चों के लिये उनका आश्रय बना हुआ है। यहां मां का प्यार और दुलार मिलने के साथ ही उनकी बेहतर तरीके से देखभाल होती है।
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