नोएडा। सेक्टर- 6 स्थित एनईए सभागार में अभिमन्यु पाण्डेय काव्य संग्रह \'मुखर होता मौन का╙ विमोचन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय पर्यटन, विमानन और संस्कृति राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि समाज को आइना सही राह दिखाने और सच को कहने की हिम्मत सिर्फ पत्रकारों और साहित्यकरों में ही होती हैं। काला को काला और सफेद को सफेद कहने के लिए बहुत ही साहस होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पदमश्री
गुलजार देहलवी ने कहा कि इस देश में सबसे बड़ा धर्म मानवता है। हर धर्म के
ग्रंथों में मानवता को सर्वोपरि माना गया है। इसके बाद अभिमन्यु पाण्डेय
आदित्य के काव्य संग्रह \'मुखर होता मौन╙ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर
ओबीसी आयोग के संयोजक डा. ताजुद्दीन अंसारी, आईएफडब्ल्यूजे के राष्टीय
महासचिव परमानंद पाण्डेय, वाणिज्यकर के डिप्टी कमीश्नर पंकज सिंह आदि
उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संचालन चेतन आनंद ने किया। इस दौरान
मशहूर कवियित्री वंदना कुंवर राजजादा की सरस्वती वंदना और गीतों ने
कार्यक्रम को जोरदार शुरूआत दी। कवियित्री विजया कुमारी एहसास ने तय हो सफर
कैसे तन्हा ये जिन्दगी का.....गजल सुनाकर श्रोताओं को प्रेम रस से सराबोर
कर दिया तो मशहूर गजलकार नित्यानंद तुषार ने कलम को सर कलम होने का कोई डर
नहीं होता.....सुनाकर लेखनी की स्वतंत्रता को सभी के सामने रखा। यहीं हास्य
कवि अनिल असीम ने अपने चुटीले अंदाज में जब देश के भ्रष्टाचार और तमाम क
ुरीतियों पर हास्य और व्यंग का प्रहार किया। गोविंद गुलशन ने तुम आए तो घर
में उजाले हुए.....गीत पढ़कर खूब तालियां बटोरीं। वरिष्ठ गजलकार और कवि
मासूम गाजियाबादी ने हमको देकर मदद का मरहम आपने,कैसे कैसे किए हैं सितम
आपने.....सुनाकर समा बांध दिया। अभिमन्यु पाण्डेय आदित्य ने मां तेरे बिन
घर लगता है,बिन तुलसी के आंगन जैसा..... सुनाया तो पूरा सभागार तालियों से
गूंज उठा। कवि चेतन आनंद ने मुश्किल के भी हल आएंगें,आज नहीं तो कल
आएगें.....सुनाकर श्राोताओं को सकारात्मक संदेश दिया तो वहीं प. साहित्य
कुमार चंचल की नित नित दंगे, व्यर्थ के पंगे.....को खूब सराहा गया। इस
दौरान पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर,समाजवादी पार्टी विधानसभा अध्यक्ष
चिरंजीव महाजन, जिलाध्यक्ष प्रताप चौहान, महानगर अध्यक्ष राकेश यादव, मनोज
चौहान, विकास गुप्ता, डिंपल आनंद आदि दिल्ली, नोएडा के तमाम गणमान्य
लोगेां ने शिरकत की।
|