नोएडा। शहर की दो प्रमुख रामलीलाओं में बृहस्पतिवार को अहिल्या उद्धार व परशुराम-लक्ष्मण संवाद का प्रसंग दिखाया गया। इसे देख भक्त रोमांचित हो गए। सेक्टर 33 के रामलीला मैदान में श्री सनातन धर्म रामलीला समिति और नोएडा स्टेडियम में श्रीराम मित्रमंडल द्वारा रामलीला का आयोजन कराया जा रहा है। दोनों ही रामलीलाओं में मंचन का प्रसंग लगभग बराबर चल रहा है। दोनों ही रामलीला में मुरादाबाद के कलाकार हिस्सा ले रहे हैं।
बृहस्पतिवार को इसमें मारीच वध, अहिल्या
उद्धार, राम चरण रस व परशुराम-लक्ष्मण का जोशीला संवाद दिखाया गया। इसमें
अमित शर्मा (राम), मनोज यादव (लक्ष्मण), संगीता (अहिल्या), पिंकू (गौतम
ऋषि), कोमल शर्मा (सीता) व शशि कपूर परशुराम की भूमिका में रहे। नोएडा
स्टेडियम की रामलीला यह रामलीला श्रीराम मित्र मंडल द्वारा कराई जा रही है।
बृहस्पतिवार को यहां के मंचन में भी अहिल्या उद्धार, श्रीराम सीता मिलन व
लक्ष्मण परशुराम संवाद का भव्य मंचन दिखाया गया। इसमें जनकपुर में धनुष
यज्ञ की बात सुनकर प्रभु राम मुनि विश्वामित्र के साथ जाते हैं। रास्ते
में श्रीराम जी के पवित्र चरणों की रज का स्पर्श पाते ही अहिल्या का उद्धार
हो जाता है। अगले दृश्य में मुनि विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण
चलते-चलते जनकपुर के निकट पहुंच जाते हैं। वहीं पर सीता और राम एक दूसरे को
एक टक देखते रह जाते हैं। अगले दृश्य में राजा जनक धनुष न टूटने पर विलाप
करते हैं।1 इसके बाद पहले लक्ष्मण धनुष तोडऩा चाहते हैं, लेकिन बाद में
भगवान राम धुनष की प्रत्युन्चा चढ़ाते ही धनुष टूट जाता है। सीता राम को वर
माला डाल देती हैं।
वहीं श्रीराम मित्र मण्डल द्वारा आयोजित
रामलीला मंचन के तीसरे दिन दीप प्रज्जवलन के साथ लीला मंचन का आगाज हुआ।
जनकपुर में धनुष यज्ञ की बात सुनकर प्रभु राम मुनि विश्वामित्र के साथ
रास्ते में जाते हैं इसी बीच एक आश्रम दिखाई दिया जिसमें पशु पक्षी व जीव
जन्तू नहीं थे। भगवान राम ने पत्थर की शिला देखकर विश्वामित्र जी से पूछा,
विश्वामित्र ने पूरी कथा राम जी को बताई कि यह शिला गौतम मुनि की पत्नी हैं
जो श्राप वश पत्थर की देहधारण किये है। आप की चरण रज से इस पाषाण रूपी
अहिल्या का उद्वार हो जायेगा। श्रीराम जी के पवित्र चरणों की रज का स्पर्श
पाते ही अहिल्या प्रकट हो जाती हैं एवं भगवान के चरणों में लिपट जाती है अगले
दृश्य में मुनि विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण गंगा जी के तट पर पहुंचते
हैं जहां पर मुनि गंगा जी के पृथ्वी पर अवतरण की कथा सुनाते हैं। चलते-चलते
जनकपुर के निकट पहुंच जाते हैं। विश्वामित्र के आगमन का समाचार सुनकर राजा
जनक उनके पास पहुंचते हैं मुनि को प्रणाम कर जब दोनों भाईयों को देखते हैं
मूरति मधुर मनोहर देखी। भयहु बिदेहु बिदेहु बिसेषी। जनक जी अपनी सुध बुध
खो बैठते हैं। मुनि जी राम लक्ष्मण का परिचय देते हैं। लक्ष्मण के हृदय
में जनकपुर देखने की लालसा होती हैं भगवान राम मुनि से आज्ञा लेकर जनकपुर
को देखने चले जाते हैं। लौटकर संध्या वंदन कर सुबह पूजा के लिए गुरू से
आज्ञा लेकर पुष्प लेने जाते हैं वहीं पर सीता जी पार्वती जी की पूजा के लिए
आती हैं जब राम जी और सीता जी एक दूसरे को देखते हैं एकटक देखते रह जाते
हैं सीता जी गिरिजा की पूजा करती हैं और मां से राम जी को पति के रूप में
मांगती हैं।
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