नोएडा। बिहार चुनाव में महागठबंधन और भाजपा में कांटे की लड़ाई है। इसी तरह की फूट से बचने के लिए भाजपा ने वहां अपना कोई मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित नहीं किया है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनने की आस में सुशील मोदी, गिरीराज सिंह, जीतन राम मांझी, पासवान बंधु एवं प्रेम कुमार जी जान से लगे हुए हैं। यदि इनमें से किसी एक को भी भाजपा मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर देती तो बाकी सब ठंडे पड़ जाते। नतीजतन भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता।
बिहार चुनाव के साथ-साथ भाजपा यूपी को भी
साधकर चल रही है। क्योंकि यहां विधानसभा चुनाव डेढ़ साल बाद हों लेकिन
भाजपा का अगला टारगेट यूपी ही है। यूपी में मुख्यमंत्री के पद के रूप में
जो चेहरा सबसे तेजी से उभरकर आया है वह डा. महेश शर्मा का है। बिहार चुनाव
शुरू होते ही वे भी यूपी में सक्रिय हो गए। राजनीतिक जानकारों की माने
तो महेश शर्मा की सक्रियता और सरकार में मजबूत पकड़ से भाजपा विधायक संगीत
सोम की बेचैनी बढ़ गई है। जानकारों के मुताबिक मुजफ्फर नगर कांड के बाद
संजीव बालियान और संगीत सोम मुख्य रूप से चर्चा में आए थे। संजीव बालियान
को इसका फायदा केन्द्र में मंत्री के रूप में मिल गया। भाजपा के अंतरंग
सूत्रों के मुताबिक संगीत सोम को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री
पद के लिए प्रोजेक्ट करेगी। लेकिन हालिया राजनीतिक गतिविधियों से
प्रतीत हो रहा है कि यूपी में भाजपा का चेहरा डा. महेश शर्मा हो सकते हैं।
सोम उनसे काफी पीछे छूट गए हैं।
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