पटना। महागठबंधन में उम्मीदवारों के नामों की सूची मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही तीनों दलों के प्रदेश अध्यक्षों ने जारी की। नीतीश कुमार ने कहा कि समाज के सभी वर्गों से उम्मीदवार बनाए गए हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि सीटों की संख्या या कौन सी सीट पर कौन सी पार्टी लड़ेगी इसको लेकर कोई विवाद नहीं है। 16 फीसद सामान्य वर्ग, 55 फीसद पिछड़ा, 16 फीसद एससी और 14 फीसद मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को मौका दिया गया है।
लालू ने अपने दोनों बेटों तेजस्वी और तेज
प्रताप को भी चुनावी मैदान में उतार कर अपनी राजनीतिक विरासत उन्हें सौंपने
की तैयारी कर ली है। वहीं नीतीश कुमार और कांग्रेस ने भी अपने अपने
उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। जातिगत चक्रव्यहू को भेदने के लिए
नीतीश ने भी थोक के भाव कुशवाहा दावेदारों को टिकट दिया है। चुनाव वितरण के
दौरान उन्होंने लव-कुश समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है। हालांकि यादवों को
टिकट देने में उन्होंने भी पूरी दरियादिली दिखाई है नीतीश ने कुल 14 यादव
उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने अपने हिस्से की 41
सीटों में से 2 यादवों को टिकट दिया है। आज जारी हुई लिस्ट में लालू यादव
ने अपने बेटे तेजस्वी को अपनी परंपरागत सीट राघोपुर से और तेज प्रताप को
महुआ से टिकट दिया है। तीनों पार्टियों द्वारा जारी की गई लिस्ट को
देखकर एक बात का साफ अंदाजा लग सकता है कि महागठबंधन के मुखिया नीतीश कुमार
बेशक बिहार में विकास के मुद्दे पर चुनाव लडऩे की बात करते हों लेकिन दांव
एक बार फिर जातिगत समीकरणों पर ही लगाया गया है। थोक के भाव यादवों को
टिकट दिया जाना इस बात का ही संकेत है। यही कारण है कि बिहार में भाजपा का
परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले भूमिहारों को लालू यादव ने कोई टिकट नहीं
दिया तो नीतीश और कांग्रेस ने भी नाममात्र के भूमिहारों को टिकट दिया है।
वहीं इस सूची में कई मंत्रियों और वर्तमान विधायकों की भी छुट्टी कर दी गई
है। नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने बार-बार दोहराया है कि
उन्हें संघ कार्यकर्ता होने का गर्व है। बीजेपी एक राजनीतिक संगठन है।
आरएसएस के दम पर ही जनसंघ की स्थापना हुई थी, जिसे आज बीजेपी के नाम से ही
जानते हैं। तीन दिन के शिविर में सभी भाजपा नेताओं ने हाजिरी लगाई। ऐसे में
मोहन भागवत ने अगर कुछ कह दिया तो बीजेपी नेताओं की इतनी वकत नहीं कि उसे
मानने से इन्कार कर दे।
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