बालाघाट। आध्यात्मिक योगीराज महेन्द्र सागरजी एवं युवा मनीषी पूज्य मनीष सागरजी आपश्री के प्रवचन पार्श्वनाथ भवन में शिक्षा प्रबंधन के विषय में उपस्थित श्रोताओं को गहराई से समझाते हुये बताया कि स्कूल कालेज आदि की शिक्षा प्राप्त करने के बाद सीए, इंजिनियर डाक्टर, प्रोफेसर शिक्षक आदि बन जाते है क्या इसके बाद भी शिक्षा की आवश्यकता होती है।
उन्होंने
कहा कि दो प्रश्न हमारे जीवन में पहला कि क्या हम पढ़े लिखे है और दूसरा है
क्या हम अनपढ़ है। व्यक्ति यह सोचने लगता है कि मैं कितना पढ़ा-लिखा हॅू,
मेरे दादा, परदादा अनपढ़ थे। बुढ़ापे की ओर बढ़ते समय सदगुरू द्वारा दिये गये
आध्यात्मिक शिक्षा समझााई
जाती
है तो कहते है हमारे दिमाग में चढ़ता ही नही है क्योंकि हम अपनी जिज्ञासा
खत्म कर देतें है, सीखना ही नही चाहते, बच्चा पढ़ते-पढ़ते कई विषयों का
अध्ययन करते-करते कालेज तक पहॅुच जाता है फिर आप क्यों नही सीख सकते।
उन्होंने कहा कि एक सत्य घटना का वर्णन करते हुये बताया कि एक व्यक्ति पढ़ा
लिखा था और उसकी चाहत थी मैं भी घर में पढ़ी लिखी कन्या लेकर आउं जिससे
घर-गृहस्थी व्यवस्थित चले। वह स्कूल में पढ़ाते हुये टीचर से प्रिसिंपल बन
गया तथा उसकी घरवाली कालेज में पढ़ाते हुये एचओडी के पद पर पहॅुच गई।
उन्होंने आगे बताया कि बच्चे भी हो गये लेकिन अचानक दोनो में तू-तू मैं-मैं
अर्थात टकराहट प्रारंभ हो गई। पति पत्नि से कहता तुमने आज यह पकवान नही
बनाई, पत्नी कहती तुम मुझे घुमाने नही ले गये, यहां तक दोनो की बातें
ससुराल तक पहॅुच गई। कभी कभी होने वाला झगड़ा प्रतिदिन का विषय बन गया। घर
का माहौल बिगड़ गया।
उनके
अनुसार इसका कारण कि शिक्षा के साथ-साथ जीवन में जीने की कला नही सीखी।
यदि पढ़ाई के साथ बच्चों को शुरू से धार्मिक संस्कार भी दिये जाये।तो उसका
जीवन प्रगति पर रहता है। शिक्षा के साथ-साथ ज्ञान होना आवश्यक है जैसे आप
गाड़ी चला रहे है और ड्राईवर आपके पास नही है यदि गाड़ी पंचर हो गई, और पंचर
बनाने का ज्ञान आपके पास होगा तो आगे बढ़ जायेंगे।
उन्होंने महाराणा प्रताप का उदाहरण दे जंगल में उन्हें रोटी नही मिली भूख लगी तब उन्होनें
घास
की रोटी बनाकर भूख मिटाई भगवान महावीर और श्रीराम जैसे महापुरूषो ने वैभव
को ठुकराकर जंगल की ओर रास्ता पकड़ लिया वहा भी वे आनंद से रहे। किसी भी
परिस्थिति में
विचलित
नही हुये क्योंकि उनके पास समाधान था। लड़किया कम्प्यूटर आदि का ज्ञान
अच्छी तरह कर लेती है लेकिन रोटी बनाने कहा जाये तो उन्हें आता नही है।
सोचो ससुराल जाने पर क्या स्थिति हो, चाहती तो मां के काम में हाथ बटाकर
सीख जाती।