लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि साढे तीन वर्ष होने को हैं, विपक्षी दल चुनावो में हुई अपनी करारी हार के सदमे से उबर नहीं पा रहे है। समाजवादी पार्टी की सरकार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में जिस तेजी से विकास एजेण्डा को पूरा कर रही है उससे उनकी बेचैनी और बढ़ती जा रही है। समाजवादी सरकार ने अपने पांच साल के लिए किए गए अधिकांश चुनावी वादे कम समय में ही पूरे कर दिए है। विपक्षी दलों को अपना भविष्य ही अंधकारमय दिखने लगा है। इससे निराश होकर ही वे प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगडऩे का झूठा हौआ खड़ा करने में लग गए हैं।
उत्तर प्रदेश की जनता पिछली सरकारों और
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली के अंतर को भलीभांति महसूस कर रही
है। पिछली सरकारों में अराजकता को छूट रही। समाजवादी सरकार बनने से
बौखलाई बसपा अध्यक्ष तो पहले दिन से ही प्रदेश में राष्ट्रपति राज का राग
अलापने लगी थी। अब भी उनका वह रिकार्ड जब तब बजता ही रहता है। उनसे प्रेरणा
लेकर बसपा के विधायकगण विधान मण्डल में हंगामा करना अपनी फर्ज अदायगी
समझते है। उनके पीछे कांग्रेस और भाजपा के विधायक भी खड़े हो जाते हैं
क्योंकि उन्हें भी अपने समय के पुराने कारनामें ढकंने रहते है। समाजवादी
सरकार ने कानून व्यवस्था केा हमेशा प्राथमिकता में रखा है। मुख्यमंत्री जी
के स्पष्ट निर्देश हंै कि प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर कठोरता से
अंकुश रखा जाए। शांति व्यवस्था में लापरवाही बरतने वाले अफसरों के खिलाफ भी
कड़ी कार्यवाही करने के भी निर्देश हैं। राज्य सरकार ने पुलिस बल को
मजबूती देने के लिए उसे आधुनिक संसाधनों से सज्जित करने का भी काम किया है।
पुलिस थानों को एक हजार से ज्यादा जीपें दी गई है। गश्त की व्यवस्था
सुधारी गई है। गाजियाबाद, कानपुर, इलाहाबाद और लखनऊ में अत्याधुनिक पुलिस
कंट्रोल रूम स्थापित किए गए है। पुलिस बल में बड़े पैमाने पर भर्तियां की
गई है। महिलाओं का उत्पीडऩ रोकने के लिए 1090 वूमेन पावर लाइन सेवा है।
थानों पर आनलाइन शिकायतें दर्ज कराई जा सकती है। महिला आयेाग भी महिलाओं पर
होने वाले अत्याचारों की सुनवाई करता हैं। महिला सशक्तीकरण पर पूरा जोर
हैं। इस सबके बावजूद विपक्ष की मंशा सिर्फ सरकार को बदनाम करने की रहती है।
वे प्रदेश में अपराध की निराधार बातें कर प्रदेश की 22 करोड़ जनता की
बदनामी कर रहे हैं। वे चाहते है कि विकास न हो, बाहर से उद्यमी न आएं,
पूंजीनिवेश बाधित हो। विपक्षियों की यह इच्छा कभी पूरी होने वाली नहीं है।
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