नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की आपत्तियों के बाद अब अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा लोकायुक्त नियुक्त करने की योजना फिलहाल अटक गई लगती है।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के सीएम ने
लोकायुक्त नियुक्ति के सिलसिले में अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम की फाइल
को मंजूरी के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी के
पास भेजा था। जस्टिस रोहिणी ने उनके पास फाइल वापस लौटाते हुए सलाह दी है
कि दिल्ली सरकार दिल्ली लोकायुक्त ऐक्ट के नियमों व प्रावधानों के मुताबिक
ही लोकायुक्त का चयन करे। दिल्ली लोकायुक्त और उपलोकायुक्त ऐक्ट 1995 के
मुताबिक, पूर्व में मुख्य न्यायाधीश रह चुके या फिर 7 साल तक किसी उच्च
न्यायालय में जज रह चुके व्यक्ति की ही नियुक्ति लोकायुक्त के पद पर हो
सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस रोहिणी ने अरविंद केजरीवाल सरकार
द्वारा इस पूरे मामले को जिस तरह से उठाया गया, उस तरीके पर भी आपत्ति जताई
है। सूत्रों ने बताया, कानून मंत्रालय को लोकायुक्त नियुक्ति की प्रक्रिया
में शामिल होना होता है। इसके लिए पहले उम्मीदवार के चयन की योग्यता का
आधार तय करना होता है। वैसे जज जो कि पिछले 5-7 साल के दौरान रिटायर हुए
हैं, उनका ही चयन किया जा सकता है।
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