लखनऊ। वर्ष 2013 में प्रयाग, इलाहाबाद में विशालतम जनसमागम कुम्भ मेला समपन्न हुआ था। लाखों लोग इसमें स्नान-ध्यान के लिए दूर-दूर से आते हैं और पवित्र संगम में डुबकी लगाते हैं। यह कुम्भ पर्व केवल भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों के पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केन्द्र बनता रहा है। इसमें कुछ अपनी आस्था से जुड़े होने के कारण आते हैं, कुछ शांति प्राप्ति के लिए, कुछ यहां साधु संतो का संत्संग लाभ लेने तो कुछ इस विशाल मेले का साक्षी बनने के लिए आते हैं।
जनवरी 14 मकर संक्रांति पर्व से लेकर 22
मार्च, 2013 तक कुम्भ का महापर्व शांतिपूर्ण ढंग से उत्तर प्रदेश में
सम्पन्न हुआ। राज्य की समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस
भव्य आयोजन में शानदार योगदान रहा। दुनिया भर के सैकड़ों विद्वानों और
प्रबंधन के शोध छात्रों की भी यहां उपस्थिति रही थी। करोड़ों की भीड़ का
लगातार एक स्थान पर एकत्रीकरण और उसकी सुख सुविधा का व्यापक विस्तार,
प्रशासन की सुचारू व्यवस्था, कानून व्यवस्था का प्रबंध सब कुछ यहां आश्चर्य
में डालने वाला रहा। इस पर्व का दुनिया भर से आए छायाकारों, पत्र
प्रतिनिधियों और प्रबंधन आचार्यो ने अपने कैमरो में कैद किया और जाना कि
कैसे इतना विशाल जनसमूह स्वत: स्फूर्त ढंग से एकत्र होता है जिसमें अलग-अलग
प्रदेशों, भाषा भाषियों और वर्ग के लोग होते हैं। वे सब यहां एक परिवार
समूह में बदल जाते हैं। सामाजिक सद्भाव इस देश की ताकत है। इस महापर्व
पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट ने 447 पृष्ठो की एक
बृहत पुस्तक निकाली है जिसका विमोचन 17 अगस्त को नई दिल्ली के ओबेराय में
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया। इस पुस्तक में मेला के प्रारम्भ की
तैयारियों से लेकर इसके समापन तक का विवरण संकलित है। इस पुस्तक की तैयारी
में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 50 प्रोफेसर, प्रशासकीय स्टाफ, डाक्टरों,
शोधार्थियों ने कुम्भ मेला क्षेत्र में रहकर स्वत: घटनाओं का संज्ञान लिया
था। प्रयाग के इतने बड़े जन समागम के मेला क्षेत्र में सफाई, सीवेज,
टीकाकरण के साथ रहने-खाने आदि की व्यवस्था कैसे हुई इस पर साउथ एशिया
इंस्टीट्यूट की टीम ने पूरी नजर रखी थी। 24 वर्ग मील में फैली कुम्भ नगरी
जो मैनहट्टन की 2/3 है, 45 दिनों तक जीवंत रहती है। यह सबके लिए आश्चर्य की
बात है। इस कुम्भ नगरी में प्रशासन ने पालीथिन बैग के इस्तेमाल पर रोक
लगा रखी थी, तमाम स्वयं सेवी संस्थाएं संस्थान तथा विभाग यहां पर्यावरण
संबंधी जागरूकता का संदेश फैला रहे थे। इतने बड़े आयोजन का पं्रबध देख रहे
सरकारी विभागों के बीच तालमेल रहना भी उल्लेखनीय था। इस सबके सुचारू एवं
स्वस्थ प्रबंधन के लिए महीनों पहले से तैयारियॉ होती है। विश्व के तमाम
बुद्धिजीवियों ने कुम्भ महापर्व के सराहनीय प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव को श्रेय दिया है। उनके निर्देशन में कुम्भ की तैयारियों को
समयबद्ध चरणो में पूरा किया गया। उन्होने समय-समय पर स्वयं विभागीय कार्यो
की समीक्षा की और कार्यस्थल का निरीक्षण भी किया। उनके इसी योगदान के कारण
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की इस पुस्तक के विमोचन के लिए भी उन्हें चुना गया।
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