नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की बोर्ड बैठक
>> हिंडन के किनारे ग्रीन कॉरिडोर
>> ग्रेनो में हैलीपैड बनने का रास्ता साफ
>> यमुना के मास्टर प्लान को मंजूरी
>> जल्द हो जाएगी ट्रांसपोर्ट नगर योजना
नोएडा। नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में
कई अहम मुद्दों पर ठोस फैसले लिए गए हैं। आईटी भूखण्डों के लिए मिक्स लैंड
यूज, ट्रांसपोर्ट नगर योजना के लिए भूमि दर पर मुहर, हिंडन के किनारे ग्रीन
कॉरिडोर आदि पर चर्चा के बाद प्रस्ताव पास किए गए। तीनों प्राधिकरण के
चेयरमैन रमारमण ने बताया कि प्राधिकरण बोर्ड ने 20 एकड़ व उससे अधिक
क्षेत्र के भूखंडों पर मिक्स लैंडयूज को मंजूरी दे दी है। आवंटित भूखंडों
के 25 फीसदी हिस्से का आवासीय, संस्थागत और व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा
सकेगा। बोर्ड से मंजूरी के बाद प्रस्ताव शासन को भेजने पर सहमति बनी है। रमा
रमण ने बताया कि भूखंडों पर मिक्स लैंड यूज के अंतर्गत आने वाली सुविधाओं
को कुछ शर्तों के साथ बेचने की छूट होगी। इससे मिली रकम को प्राधिकरण के
साथ एक एस्क्रो अकाउंट में जमा कराना होगा। इसका इस्तेमाल सुविधाएं विकसित
करने के लिए होगा। आईटी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए एक कंसल्टेंट
नियुक्त करने का फैसला भी बोर्ड बैठक में लिया गया है, जो देशभर की
इंडस्ट्री के आधार पर रिपोर्ट देगा। नोएडा में 300 भूखंड आरक्षित किए गए थे, इनमें से 200 से अधिक भूखण्ड खाली पड़े हैं। इससे भी बदतर हालात ग्रेटर नोएडा का है। उन्होंने
बताया कि अगले 15 दिनों में ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लांच हो सकती है।
ट्रांसपोर्ट नगर में भूखंडों का आवंटन औद्योगिक दरों के हिसाब से होगा।
बैठक में आवंटन दरें 18,180 रुपये प्रति वर्ग मीटर तय कर दी गई हैं। भूखंडों
के रेट को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। प्राधिकरण ने सबसे पहले इसे
व्यावसायिक उपयोग मानते हुए भूखंडों का रेट 70,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर
तय किया था। इसके बाद रेट करीब 15,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया।
अब प्राधिकरण ने इसको औद्योगिक श्रेणी मानते हुए आवंटन दरें निर्धारित कर
दी हैं। उन्होंने बताया कि डूब क्षेत्र के बड़े हिस्से में कई बड़ी
कॉलोनियां बन चुकी हैं, जिनमें लाखों की आबादी रहने लगी है। घनी आबादी वाले
इलाकों पर कार्रवाई नहीं होगी जबकि नई कट रही कॉलोनियों पर कार्रवाई की
जाएगी। हिंडन के किनारे ग्रीन कॉरिडोर होगा जिसमें विभिन्न तरह की
एक्टिविटी की जा सकेगी। अधिग्रहण से छूटी जमीन किसानों को वापस करने पर
भी फैसला लिया है। इसके बदले किसानों से जमीन की कीमत ली जाएगी। बताया जाता
है कि आबादी के नजदीक छोटे-छोटे टुकड़ों में ऐसी सैकड़ों एकड़ जमीन है, जो
विनियमित नहीं हो पाई। ये जमीन प्राधिकरण के भी किसी काम की नहीं है।
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