गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कर्तव्यपालन के दौरान अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों के परिजनों से मिलकर वे भावुक हो जाते हैं। वे आज यहां सीमा सुरक्षा बल के 13वें स्थापना समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के पांच जवानों को पुलिस शौर्य पदक तथा 25 अधिकारियों और जवानों को पुलिस विशिष्ट सेवा पदक प्रदान किए। सीमा सुरक्षा बल का स्थापना समारोह हर वर्ष 22 मई को उसके संस्थापक खुसरो फरामुर्ज रूस्तमजी की स्मृति में मनाया जाता है, जिनका जन्म वर्ष 1916 में इसी दिन हुआ था।
अपने संबोधन के दौरान गृहमंत्री ने कहा कि व्यक्ति की पहचान उसके पद से
नहीं, बल्कि उसके कार्य से होती है। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल
रक्षा की पहली पंक्ति ही नहीं, बल्कि सुरक्षा की प्रथम \'दीवार\' है। श्री
राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा बल राष्ट्रीय गौरव से ओतप्रोत होते हैं और
इसी से उनमें आत्मबलिदान की भावना जन्म लेती है। सीमा सुरक्षा बल भी एक
ऐसा ही संगठन है, जिसके सैनिक सीमा चौकियों को अपने घर से दूर दूसरा घर
मानते हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमाओं पर ढांचागत सुविधाओं में सुधार की
आवश्यकता है और सरकार इस संबंध में पूरा प्रयास कर रही है। सरकार सीमा
क्षेत्र में बाड़ और फ्लडलाइट लगाने पर विचार कर रही है।
कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक श्री डी. के. पाठक, अन्य
अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशक, आला अफसर और सेवानिवृत्त अफसर भी उपस्थित
थे।
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