बीजिंग। भारत में भले ही पीएम मोदी मीडिया से दूरी बनाकर रखते हों। लेकिन चीन की फूदान यूनिवर्सिटी में वे वहां के पत्रकारों से रूबरू हुए और न केवल उनसे सीधा संवाद किया बल्कि उनके सवालों के बड़ी ही चपलता से जवाब भी दिए। उन्होंने इस दौरान कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन मिलें तो विश्व स्तर पर बदल सकती है तस्वीर। उन्होंने आतंकवाद और ग्लोबल वार्मिंग पर भी भारत की दृष्टिяकोण को भी चीनी मीडिया के सामने रखा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन दौरे का
आज आखिरी दिन है। पीएम ने आज सुबह शंघाई में उद्योग जगत की हस्तियों के
साथ बैठक की। चीन की 20 बड़ी कंपनियों के सीईओ से भी मिले। फूदान
यूनिवर्सिटी में पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित किया, उन्होंने कहा कि
मुझे चीन के दो यूनिवर्सिटी में बोलने का सौभाग्य मिला। ज्ञान का न पूरब
होता है, ना पश्चिम होता है। वेद में कहा गया है हर दिशा से ज्ञान आने दो।
गीता के मूल दर्शन कर्म को भी छात्रों ने सामने रखा। गीता के मूल दर्शन को
भी छात्रों ने सामने रखा। भारत और चीन दोनों देश ज्ञान के प्यासे हैं। 1400
साल पहले ह्वेनसांग भारत आए। ज्ञान के दरवाजे खोलने के लिए भीतरी ताकत
चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक व्यापार के दरवाजे खोलना सरल है। बुद्ध
के बाद गांधी के सहारे चीन को जानना बड़ी बात है। ज्ञान के आधार पर बने
संबंधों से पीढिय़ों का कल्याण होता है। महात्मा गांधी युग पुरुष थे। गांधी
का ज्ञान आज रास्ता दिखाता है। पूरी दुनिया गांधी और बुद्ध की शिक्षा
अपनाना चाहती है। गांधी का जन्म भारत में हुआ लेकिन वे विश्व पुरुष थे। उन्होंने
आतंकवाद व ग्लोबल वार्मिंग पर बोलते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के
सामने बड़ी चुनौती हैं। गांधी के विचारों से इनका हल संभव है। अमरण अनशन
के समय गांधी सिर्फ जैंग शैंग से मिले थे। जैंग शैंग टी को गांधी ने शांति
टी नाम दिया। शांति टी के प्रति गांधी का असीम प्रेम था। मानवता, बुध और
गांधी की सोच से सफलता हासिल करें। भारत-चीन मिल जाए तो दुनिया का एक तिहाई
हिस्सा संकट मुक्त हो जाएगा। 21वीं सदी एशिया की सदी है। अंत में
मोदी-मोदी के नारे लगे। पीएम ने सेंटर फॉर गांधी स्टडीज का उद्घाटन किया।
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