नई दिल्ली। ऐसा लगता नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी के गठबंधन से बनी सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी इस बात के संकेत दिए हैं। अमित शाह का कहना है कि यदि कश्मीर विवाद नहीं सुलझा तो भाजपा, पीडीपी का साथ छोड़ सकती है। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने पिछले दिनों कुछ ऐसे बयान दिए कि मोदी सरकार को संसद में सफाई देनी पड़ी। सईद साहब ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव होने के पीछे पाकिस्तान और हुर्रियत का महत्वपूर्ण योगदान बताया। लेकिन मोदी सरकार ने साफ कर दिया कि वह सईद साहब के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती है।
इसके अलावा भी कई मुद्दों पर केंद्र की
मोदी सरकार और जम्मू-कश्मीर की सरकार अलग-अलग खड़ी दिखाई दे रही है। पिछले
दिनों अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई पर मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद
सईद के बयान पर भी भाजपा को पीडीपी के साथ गठबंधन पर विपक्षी दलों की
आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
भी संसद में स्पष्ट किया था कि मसर्रत आलम की रिहाई स्वीकार्य नहीं है। बता
दें कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनने के बाद ही भाजपा और पीडीपी ने
जम्मू-कश्मीर में सरकार का गठन किया था। लेकिन भाजपा नेताओं की पीडीपी के
खिलाफ अपनाए जा रहे तल्ख रवैये से लगता नहीं कि मुफ्ती सरकार साझा
कार्यक्रम का अनुसरण कर रही है।
नरानपुरा में भाजपा कार्यकर्ताओं को
संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि देश की जनता ने हमें शिव शंकर की तरह
आशीर्वाद दिया है। हमें बहुत महत्पूर्ण जिम्मेदारी दी है। भाजपा कभी भी
सिर्फ जम्मू-कश्मीर में सरकार में बने रहने के लिए देश हितों से समझौता
नहीं करेगी।\'
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