नोएडा। आजकल वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए यूपीवीसी दरवाजे और विंडो को प्रचलन बढ़ता जा रहा है। यूपीवीसी के उपकरण बनाने में माहिर शरद जैन ने जय हिन्द जनाब के बताया कि इससे बिजली बचाई जा सकती है। पानी, हवा को दूषित होने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि लकड़ी और एल्युमिनियम की खिड़की और दरवाजे लगाना लोग पसंद करते हैं लेकिन जरा सोचिए लकड़ी प्राप्त करने के जब पेड़ काटे जाते हैं तो उससे वातावरण मेंं कितना असर पड़ता होगा।
जहां एल्युमिनियम उत्पादित करने में जहां
एक टन में 80 यूनिट बिजली लगती हैं, वहीं यूपीवीसी उत्पादन करने में करीब
20 यूनिट बिजली खर्च होती है। धीरे-धीरे लाोग ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट में
यूपीवीसी तकनीक को ही अपना रहे हैं और इसी के ग्रीन बिल्डिंग में उपकरण
लगाना जरूरी है। श्री जैन ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार यूपीवीसी पर 14
प्रतिशत टैक्स लगाती हैं जो कि अन्य राज्योंकी अपेक्षा काफी अधिक है।
जिसके चलते इको फ्रेंडली वातावरण को बढ़ावा देने में अधिक लागत लग रही हैं
और लोग इसे लगाने से कतरा रहे हैं। शरद जैन ने बतताया कि उन्होंने इस तकनीक
पर 2012 से ही काम शुरू किया है। भाइयों से बढ़कर दोस्ती की मिसाल मूलरूप
से राजस्थान निवासी शरद जैन बी-63 सेक्टर-8 में फैक्टरी चला रहे हैं। इस
काम में उनका परिवार कोई सदस्य नहीं बल्कि उनका दोस्त एसएन रोहिल्ला पूरा
सहयोग करते हैं। शरद जैन ने बताया कि सन् 1985 में वे अपने दोस्त रोहिल्ला
के साथ नोएडा आए थे। उस वक्त दोनों ने एक लाख रुपए से रेलवे के लिए पटरी
में लगने वाले सामान बनाने क काम शुरू किया था। 2012 आते-आते दोनों की
पार्टनरशिप तो कायम रहीं लेकिन रेलवे का काम खस्ताहालत के चलते शून्य हो
गया। इसके बाद रोहिल्ला और जैन ने यूपीवीसी का काम शुरू किया है। 1985 से
ये जोड़ी अब तक व्यवसाय में एक साथ है ऐसी मिसाल कम ही मिलती है। दोनों के
बीच काफी मेलमिलाप है और एक दूसरे के बिना काम करना भी नहीं चाहतेे। मोदी के अच्छे दिन के वादे झूठे चुनाव
के दौरान जिस तरह से मोदी जी अच्छे दिन के वादे किए थे उन वादों को
उद्योगपति शरद जैन झूठे बता रहे हैं क्योंकि उन्होंने सोचा था कि उनका
व्यवसाय कुछ रफ्तार पकड़ेगा लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। उनको लग रहा था
कि रेलवे में कुछ बेहतर कदम उठाए जाएंगे, मगर ऐसा कुछ नहीं हो रहा।
उद्योगों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई खास योजना धरातल पर नजर
नहीं आ रही। जिस तरह से चुनाव से पहले उद्योगपति में मोदी को लेकर उत्साह
था अब उस गुब्बारे से हवा निकलती दिख रही है।
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