गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय श्रीमठ महोत्सव न्यास काशी, मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस व मथुरा की युगांधर संस्था की ओर से आयोजित अलंकरण समारोह में प्रख्यात पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय व हिन्दी साहित्य के प्रखर चिंतक स्व. कृष्णदत्त पालीवाल को जगद्गुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सम्मान में एक लाख की धनराशि, स्मृति चिह्न, अभिनंदन पत्र, साहित्य, शॉल, मिष्ठान आदि प्रदान किया गया। कृष्णदत्त पालीवाल की पत्नी रीता रानी पालीवाल ने सम्मान प्राप्त किया।
श्रीमठ काशी के जगद्गुरु रामानंदाचार्य
श्री राम नरेशाचार्य ने समारोह में अपने प्रवचनों से वातावरण को सात्विक
बनाया। अलंकरण समारोह जगद्गुरु रामानंदाचार्य राम नरेशाचार्य पद प्रतिष्ठा
रजत जयंती समापन महोत्सव के मौके पर आयोजित किया गया था। राम नरेशाचार्य के
आगमन पर घंटों-घडिय़ालों व पुष्प वर्षा के साथ उन्हें मेवाड़ परिसर में
बने भव्य मंदिर लाया गया। मंदिर में पदार्पण के बाद ऑडिटोरियम पहुंचकर
उन्होंने अलंकरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। अपने सम्बोधन में
उन्होंने दान की महिमा की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि संत होकर भी जिसने
तीन वितृष्णाओं का त्याग नहीं किया वह आसाराम व रामपाल जैसा है, मगर जिसने
गृहस्थ में रहकर भी तीनों वितृष्णाओं का त्याग किया वह कबीर है, संत है। पत्रकार
राम बहादुर राय भी कबीर व संत की ऐसी ही श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कहा
कि हम भगवान को भी दान करते हैं। भगवान को दिया दान कृतज्ञता ज्ञापित करता
है। इस दान को हम भक्ति कहते हैं। भक्ति मार्ग में कहा गया है कि
माता-पिता को अपनी कमाई देना धर्म है। मगर हम माता-पिता का अपनी कमाई न
देकर पत्नी को देने लगे। समारोह में डॉ. अशोक कुमार गदिया, सत्यनारायण
अग्रवाल, विभाकर मिश्र, मनोज सिन्हा, अरुण शर्मा, मेवाड़ ग्रुप ऑफ
इंस्टीट्यूशंस के महासचिव अशोक कुमार सिंघल, निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल,
कमला बाई, आशा देवी, बबीता सिंघल आदि ने राम नरेशाचार्य को पुष्पार्पित कर
उनका स्वागत किया। अशोक कुमार सिंघल ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
समारोह का संचालन वाराणसी से आये उदय प्रताप सिंह ने किया।
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