लोगों के दिल और दिमाग में एक तस्वीर बन चुकी है कि सपा सरकार में अपराध अपने आप ही बढ़ते चले जाते हैं। कुछ हद तक यह तर्क सही भी दिखता है।
आजकल गौतमबुद्घ नगर में अपराधी एक के बाद
एक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन खुलासे में भी पुलिस पीछे नहीं
हैं। बावजूद इसके अपराध रूकने का नाम नहीं ले रहे। इसके पीछे सबसे बड़ा
कारण माना जा रहा है कि पुलिस की रीढ़ सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल
सत्ताधारी पार्टी के लोगों के नजदीकी हैं या फिर रिश्तेदारी में आते हैं।
जिसके चलते वे अधिकारियों तक को ठेंगा दिखाते हैं। हलचल है कि पुलिस
अधिकारी भी अपनी पोस्टिंग बचाने के लिए या तो समझौता करते हैं या फिर
चुप्पी साध लेते हैं। जिले में बदमाशों को पकडऩे की बजाय पुलिस एक
प्रॉपर्टी डीलर जैसा काम कर रही है। आए दिन शिकायतें आ रही है कि एक थाना
प्रभारी ने जमीन पर कब्जा करा दिया तो दूसरी शिकायत आती है कि थाना प्रभारी
जबरदस्ती जमीन खाली करा रहे हैं। यह हाल ज्यादातर थानों में हैं। दूसरा
अपराध न रूकने का सबसे बड़ा कारण है पुलिस अधिकारियों की बेगारी करना और
नेताओं के इशारे पर नाचना। किसी दमदार व्यक्ति का फोन आते ही पुलिस घुटने
टेकती है और बदमाशों को छोड़ देती है। बचा-कुचा समय जमीनी विवाद में बिता
दिया जाता है।
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