नई दिल्ली। काफी समय तक देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में एकछत्र राज करने वाली बसपा सुप्रीमों मायावती का समय इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है। मायावती एक बार फिर से प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है। इसके लिए उनकी नजर अब युवाओं पर है।
बताया गया है कि इसके लिए मायावती ने आदेश
दिया है कि पार्टी में हर स्तर पर समितियों में 35 साल तक की उम्र के कम से
कम 50 फीसद सदस्य होने चाहिए। पहली बार बसपा में युवाओं को महत्व दिया जा
रहा है। बसपा की कमान मायावती के हाथ में आने के बाद से ही पार्टी में कभी
कोई युवा या छात्र संगठन नहीं रहा और न ही कभी किसी युवा नेता का नाम सुना
गया। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की संकीर्ण, सर्वण विरोधी, चुनाव के
अलावा अन्य गतिविधियों से दूर रहने वाली छवि बदलने के लिए मैनेजमेंट,
क़ानून या अन्य प्रोफेशनल डिग्री वाले नौजवानों को तरजीह दी जा रही है ताकि
युवा वोटरों को आकर्षित किया जा सके। कार्यकर्ताओं से कहा जा गया है कि वे
छात्रों और युवाओं को पार्टी की वेबसाइट के बारे में बताएं और सवर्णों को
हमारे अन्य भाई कह कर संबोधित करें।
पिछले लोकसभा चुनाव में
दलित वोट के खिसकने के कारण उत्तर प्रदेश में किसी सुरक्षित सीट पर भी जीत
नहीं मिलने के बाद बड़ी तादाद में लोग पार्टी छोड़ कर जाने लगे। इन वजहों
से ही अब बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी ख़त्म होने का खतरा मंडराने
लगा।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की
81वीं जयंती को बसपा मुखिया मायावती को दिल्ली की सत्ता और प्रदेश में
सत्ता वापसी के संकल्प के रूप में मनाया गया।
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