नोएडा। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एन्थ्रोपोलॉजी द्वारा 'व्यवहारिक एन्थ्रोपोलॉजी चुनौतियां एंव बदलते परिपेक्ष्य╙ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन एफ वन ब्लाक, एमिटी विश्वविद्यालय मे किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रो. योगेष अटल, पूर्व प्रिसिंपल डायरेक्टर ऑफ सोषियल सांइस, यूनेस्को, प्रो. एके कला, पूर्व प्रमुख, एन्थ्रोपोलॉजी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. वीके श्रीवास्तव, हेड, एन्थ्रोपोलॉजी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय डा डब्लू सेल्वामूर्ती, अध्यक्ष, एमिटी संाइस टेक्नेालॉजी इनोवेषन फांउडेशन एंव डा रूमी देब, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एन्थ्रोपोलॉजी ने पांरपरिक दीप जलाकर किया।
श्री
अटल ने कहा कि आचारनिती हर प्रकार के शोध चाहे वो समाजिक विज्ञान, भौतिकी व
जैविक विज्ञान में आवश्यक है। एन्थ्रोपोलॉजी एक ऐसे विषय के रूप में उभरी
है जिसमे विभिन्न सामाजिक एंव जैविक विशेषताओं के तरीके एंव सिद्धांत शामिल
होते है। शारीरिक एन्थ्रोपोलॉजी मानव जीवविज्ञान के समीप है तथा समग्र
दृष्टिकोण के बल पर आगे बढ़ी है। श्री अटल ने कहा कि इस अलगाव के कारण
संस्कृती पीछे छूट गई है तथा संकीर्ण विषेषज्ञता इस विषय का ध्येय बन गया
है। आज इस क्षेत्र मे शोध के नये आायाम आ रहे है। एन्थ्रोपोलॉजी विषय
भूतकाल तथा प्राचीन दर्शन के रूप मे उभरा पर अब इसमें न केवल वर्तमान तथा
मानव जाती के भविष्य भी समाहित है। प्रो. एके कला, पूर्व प्रमुख,
एन्थ्रोपोलॉजी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को संबोधित करते हुए
कहा कि एन्थ्रोपोलॉजी मे बदलते परिपेक्ष्य का प्रयोग पहली बार नोबल विजेता
डेविड वाल्टमेारद ने किया। एन्थ्रोपोलॉजी के क्षेत्र मे छात्रो हेतु नई
चुनौतियों के साथ षोध एंव नौकरीयों के सुअवसर भी प्राप्त हो रहे है। प्रो
वी के श्रीवास्तव, हेड, एन्थ्रोपोलॉजी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने
छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एन्थ्रोपोलॉजी के क्षेत्र मे हम मानव
एंव समाज का विकास को समझने का प्रयास करते है। यह एक लंबी षिक्षण
प्रक्रिया है जो बताती है कि हम मात्र सिद्वांत पर आधारित षिक्षण ही नही
बल्कि प्रयोगिक षिक्षण पर भी ध्यान देना है। प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि
एन्थ्रोपोलॉजी के जरिए स्वास्थ्य, औषधियों, व्यापार, मानव अधिकार, शिक्षा,
पर्यावरण, समुदायिक विकास आदि क्षेत्र के विभिन्न समस्याओं का निराकरण किया
जा सकता है। एन्थ्रोपोलॉजी में चार प्रकार के षोध जैसे शुद्घ शोध, लागू
शोध, नीति षोध एंव कार्रवाई षोध होते है। एन्थ्रोपोलॉजी के क्षेत्र मे
अच्छे नतीजे प्राप्त करने के लिए हर संस्थान को इंटिग्रेटेड एन्थ्रोपोलॉजी
जिसमे जीवविज्ञान, समाज, पुरात्तव, इतिहास एंव अन्य महत्व तथ्य षामिल हो
उनका अध्ययन करना चाहिए। यह गहन जानकारी के लिए संग्रहालय सहित प्रयोगशाला
होनी चाहिए। उन्होने कहा कि एन्थ्रोपोलॉजी शिक्षण ग्रहण करने वाले छात्रों
को लोगो को झेलना, अच्छा वक्ता होना चाहिए। एन्थ्रोपोलॉजी मे सरल,
संक्षिप्त एंव बिना तकनीकी पूर्ण षब्दो वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए। डा
डब्लू सेल्वामूर्ती, अध्यक्ष, एमिटी संाइस टेक्नेालॉजी इनोवेषन फांउडेषन
ने कहा कि एमिटी सदैव छात्रों को षोध हेतु प्रेरित करता रहता है।
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