किसान सुमंत कुमार दुनियाभर में जाना पहचाना नाम बन चुके हैं। एबीसी, बीबीसी और द गार्जियन समेत दुनिया के तमाम बड़े मीडिया हाऊस उनकी कामयाबी की कहानी कह रहे हैं। बिहार के नालंदा के दरवेशपुरा गांव के सुमंत कुमार ने दुनिया में सबसे ज्यादा धान उगाने का रिकार्ड बनाया है।
इससे पहले यह रिकॉर्ड चीन के वैज्ञानिक और फादर ऑफ राइस के नाम से
प्रसिद्ध युआन लोंगपिंग के नाम था। युआन ने एक हैक्टेयर में 19.4 टन धान
उगाया था। लेकिन सुमंत कुमार ने इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एक हैक्टेयर में
22.4 टन धान का उत्पादन कर दुनिया को चकित कर दिया।
सुमंत कुमार ने न सिर्फ चीन के वैज्ञानिक का रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि वर्ल्ड
बैंक के फंड से चल रहे फिलिपींस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च और अमेरिका और
यूरोप की बड़ी-बड़ी बीज कंपनियों के फार्मों के रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिए।
यही कारण है कि बिहार के नालंदा जिले के छोटे से गांव दरवेशपुरा में उनसे
मिलने के लिए दुनियाभर से लोग आ रहे हैं। लेकिन सुमंत कुमार की कामयाबी
युआन लोंगपिंग को नहीं पची और उन्होंने उनके दावे पर ही सवाल उठे दिए।
इसके बाद अब सुमंत कुमार ने अपने खेत में धान के बजाए गेंहू की फसल का
रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की है। सुमंत कुमार ने इंटर तक की पढ़ाई करने के
बाद टेक्सटाइल सुपरवाइजर की नौकरी की और फिर दोबारा किसानी की ओर लौटे।
मंत कुमार ने धान उगाने का पुराना तरीका छोड़कर नया तरीका अपनाया। उन्होंने
सिस्टम ऑफ राइस इंटेनसिफिकेशन या श्री विधि का प्रयोग किया। इस विधि में
पौध के रोपन, बीज की तैयारी, पौध की उम्र और सिंचाई का तरीका पारंपरिक
तरीके से अलग होता है। इस विधि को 80 के दशक में विकसित किया गया था और
इससे गेंहू और अन्य फसलों में भी अपनाया जा सकता है। पारंपरिक तरीके में
धान के कई पौधे एक साथ रोपें जाते हैं जबकि नए तरीके में एक-एक पौधे को
अलग-अलग रोपा जाता है।
सुमंत कुमार के लिए नई विधि अपनाना लाटरी की तरह था। उनका यह तरीका कामयाब
रहा। जब गांव के लोगों ने फसल तौली तो बाहर की दुनिया को यकीन नहीं हुआ।
इसके बाद बिहार सरकार के एक कृषि विज्ञानी ने स्वयं सुमंत कुमार की फसल
तौलकर रिकॉर्ड की पुष्टि की।
सुमंत कुमार अब खुद में एक कृषि स्कूल बन गए हैं। उनके इर्द-गिर्द हमेशा
किसान रहते हैं और उनसे खेती के बारे में जानकारी इक_ा करते हैं। जब हमने
सुमंत कुमार से फोन पर बात की तो वह बार-बार गांव आकर फसल देखने पर जोर
देते रहे। दरवेशपुरा गांव में सिर्फ सुमंत कुमार के खेत में ही रिकॉर्ड
तोड़ फसल नहीं हुई थी बल्कि कई अन्य किसानों ने भी 17 टन प्रति हैक्टेयर तक
की फसल अपने खेतों से काटी थी। सुमंत और दरवेशपुरा के अन्य किसान जैविक
खादों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि वह गोबर से खाद बनाने के
लिए पड़ोस से गोबर तक घरीद लाते हैं।
सुमंत जानते की है कि उनके प्रयासों से गांव के लोगों का जीवन बेहतर हुआ
है, वह कहते हैं, दुनियाभर से लौग आकर हमारे खेत देख रहे हैं, इससे बाकी
किसानों को भी दिशा मिलेगी, हर समय हमारे साथ चार-पांच किसान रहते हैं जो
यह विधि सीखते हैं। हमें विश्वास है कि जल्द ही इस तरीके से अन्य किसान भी
लाभ उठाएंगे।
अपने अतुलनीय प्रयास से सुमंत कुमार ने खेती को भी फेशनेबल प्रोफेसन बना
दिया है। वह कहते हैं, किसी का पेट भरने के लायक होने से बड़ी संतुष्टि की
बात और कोई नहीं हो सकती। हमारे बारे में सुनने के बाद किसानों का अपनी
जमीन और बीज में हौसला बढ़ा है, इससे अच्छी बात और कोई नहीं हो सकती है। आप
आइये और हमारी फसल देखिएआपको भी अच्छा लगेगा।
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