दिल्ली पुलिस कर्मी सिंघम, दबंग ना बने तनावपूर्ण डयूटी ना करे,कोरोना किसी का सगा नही बचाव रखे।
(विवेकानंद चौधरी) पुलिसकर्मियों का करोना से संक्रमित होना और उनकी असामयिक मृत्यु ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। कई पुलिस अधिकारी/कर्मचारी अपने आप को सिंघम, दबंग जैसा रोल वाले बनने की गलतफहमी में अनावश्यक दवाब ले लेते हैं और बीपी, शुगर जैसे रोग अनावश्यक रूप से ग्रहण कर लेते हैं। आप स्वयं अपने आप को और अपने परिवार को प्राथमिकता देना शुरू करें। पुलिसिंग एक सिस्टम है, जिसमे आप मात्र एक छोटा सा हिस्सा हो। आप नही होंगे, तो कोई और होगा।
पुलिस कर्मियों की रेटिंग, थानों की रेटिंग, ऐसे लग रहा है कि कोई टेलेंट शो चल रहा है, जिसमे फर्स्ट आना है, अधिकारियों की नज़र में चढ़ना है, सोशल मीडिया पर छाना है।
ये सब अनावश्यक तनाव बढ़ाती हैं। आप केवल सिस्टम को समझ कर अपना पार्ट प्ले करो।
हांलाकि ये जनसहयोग से चीज़े, सामान, खाना वितरित करवाना, सेठ साहूकारों से मदद लेना आदि काम पुलिस के तो नही हैं, लेकिन बतौर इंसानियत आपने आपदा की घड़ी में जो किया, सही है। लेकिन इसमे आपको खुद भी सतर्कता बरतने की जरूरत। ''आप सुरक्षित, तो जन सुरक्षित'', यह ध्यान रखें।
पुलिस को अपनी व परिवार की चिंता खुद करनी होगी। परिवार को भी, खुद की ज़िंदगी को भी प्राथमिकता देना सीखना होगा। आप कोई भी ऐसा काम नहीं कर रहे, जो आपसे पहले किसी ने नहीं किया था। इसलिए अपनी सीमाओं में रह कर नॉकरी करें। तनाव और गलतफहमी का बोझ अब पुलिस के लिए जानलेवा होता जा रहा है। जीवित रहें, नौकरी आपकी जीवन यापन का साधन है। अति उत्साह में अपना सब कुछ इसे नहीं दे सकते। कभी स्वयं पे अभिमान होने लगे, तो सोचें कि पुलिस में आने से पहले आप क्या थे, बहुत कुछ पाया है आपने इससे और शायद जितना पाया है उससे ज्यादा खोया है। अपनी सीमाएं जाने, विनम्र बने और विभागीय कार्यों की चिंता में खुद को खत्म ना करो ।
इसलिए भय मुक्त एवं दबाव मुक्त हो कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। असीमित अपेक्षाओं की पूर्ति करना किसी के लिए सम्भव नहीं है। अगर आप स्वस्थ हैं तो आप ड्यूटी का कर्तव्य पूरी तरह से पालन कर सकते हैं।