नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय करीब 2 साल बाद अमेरिका के साथ हॉवित्जर तोप के 70 करोड़ डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट पर नए सिरे से कदम बढ़ाने की तैयारी में है। यूपीए सरकार ने इसे कीमत ज्यादा होने के मसले के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया था। यह गवर्नमेंट टु गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट है। तोप बनाने वाली कंपनी ने एसेंबली यूनिट और टेस्टिंग फैसिलिटी को इंडिया में शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया है। यह काम वह इस तोप के ग्लोबल ऑर्डर्स के मामले में भी करने की बात कर रही है।
उसके इस प्रस्ताव के बाद रक्षा मंत्रालय इस कॉन्ट्रैक्ट के रिवाइव करने के बारे में कोई फैसला लेने पर विचार कर रहा है।
सेना के लिए अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों की \'मेक इन इंडिया डील को
मंजूरी देने का मामला अगले कुछ दिनों में डिफेंस एक्विजिशन कमिटी के सामने
रखा जा सकता है। ये तोपें बनाने वाली बीएई सिस्टम्स ने नए ऑफसेट मोड का
प्रस्ताव रखा है, जिसमें वह इंडियन पार्टनर के साथ मिलकर एक नया कारखाना
लगाएगी। इसमें 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा निवेश हो सकता है। इस प्रोजेक्ट पर
कदम बढ़ाने का अंतिम फैसला रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को करना है, जो
डीएसी के अध्यक्ष भी हैं।
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