पिछले साल की थी किराया बढ़ाने की मांग
पिछले साल सितंबर में बिजली के दाम बढ़ने के बाद दिल्ली मेट्रो ने अपनी बढ़ती लागत का हवाला देते हुए दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ाने की मांग की थी। शहरी विकास मंत्रालय ने किराया तय करने के लिए कमिटी गठित करने की प्रक्रिया शुरू करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रिटायर जज एस. के. दूबे की अध्यक्षता में कमिटी के गठन का फैसला किया था। इस कमिटी में केंद्र सरकार की ओर से शहरी विकास मंत्रालय के सचिव डॉ. सुधीर कृष्णा और दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (वित्त) का नाम प्रस्तावित किया था। लेकिन इस कमिटी के बारे में नोटिफिकेशन जारी करने से पहले कैबिनेट कमिटी की मंजूरी ली जानी थी।
शहरी विकास मंत्रालय को लगा झटका
शहरी विकास मंत्रालय मान रहा था कि कैबिनेट कमिटी की मंजूरी मिलते ही कमिटी के गठन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा ताकि वह 90 दिन मंे अपनी रिपोर्ट दे दे। लेकिन सोमवार को मंत्रालय को उस वक्त जोरदार झटका लगा, जब कैबिनेट कमिटी की ओर से मंत्रालय को सूचना दी गई कि कमिटी ने एस. के. दूबे का नाम खारिज कर दिया है। हालांकि इसकी वजह नहीं बताई गई है, लेकिन मंत्रालय के लिए यह झटका इसलिए है, क्योंकि खुद शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने ही जस्टिस दूबे का नाम प्रस्तावित किया था।
कमिटी बनने में लग सकता है वक्त
अब मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि किराया तय करने के लिए कमिटी के गठन की प्रक्रिया में और लंबा वक्त लग सकता है। इसकी वजह यह है कि अब फिर से मंत्रालय को कमिटी के अध्यक्ष के रूप में किसी अन्य जज की खोजबीन करनी होगी और फिर पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इसमें कम से कम एक से दो महीने का वक्त लग सकता है। इससे पहले दिल्ली मेट्रो ने 13 नवंबर 2009 को दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ाया था। उस वक्त न्यूनतम किराया 6 रुपये से बढ़ाकर 8 रुपये और अधिकतम किराया 22 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये किया गया था। अब पिछले साल चूंकि बिजली के दाम बढ़े तो इसका दिल्ली मेट्रो पर भी असर पड़ा। दिल्ली मेट्रो की लागत का लगभग 30 फीसदी बिजली के लिए ही खर्च करना पड़त ा है।